बच्चों का शिक्षण अपनी मातृभाषा में होगा तो वह रुचि पूर्ण तरीके से शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर रहेंगे
जोबट/अलीराजपुर। विजय मालवी, विशाल चौहान ✍️
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में ग्राम देहदला निवासी लोक लेखिका दिप्तेश्वरी गुथरे पिता मोहब्बत सिंह गुथरे के द्वारा क्षेत्रीय भिलाली बोली में बनाई गई वर्णमाला का विमोचन किया।
बच्चों का शिक्षण अपनी मातृभाषा में होगा-
दिप्तेश्वरी गुथरे का कहना है कि इस वर्णमाला को बनाने का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के प्रति रुचि जाग्रत करने में सहायक होगी। नई शिक्षा नीति एवं शिक्षाविद भी यही कहते है। बच्चों का शिक्षण अपनी मातृभाषा में होगा तो वह रुचि पूर्ण तरीके से शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर रहेंगे। साथ ही उनका आत्मविश्वास पढ़ाई के प्रति बढ़ेगा और वह अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए प्रेरित होंगे।
दिप्तेश्वरी एक कुटीर उद्योग भी चला रहीं है-
दिप्तेश्वरी पिछले कई वर्षों से लगातार आदिवासी क्षेत्रीय बोली पर कार्य कर रही है। जिसमें वह आदिवासी क्षेत्रीय बोली कविताएं, कहानी, पहेलियां आदि लिखती है। वह प्रति वर्ष भगोरिया हाट में विलुप्त होती जा रही सामग्रियों कि प्रदर्शनी भी लगाती है। जिससे समाज के लोग अपनी संस्कृति का संरक्षण कर सके और स्वयं भी आदिवासी होने पर गर्व महसूस करें। दिप्तेश्वरी अपने द्वारा एक कुटीर उद्योग भी चला रहीं है। जिसमें वह क्षेत्र कि संस्कृतिक वस्तुओं को अपने समुह कि महिलाओं के साथ बनाती है और स्टाल के माध्यम से विक्रय भी करती है।
पुर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिल चुकी है और अपने द्वारा बनाई गई वस्तुएं भेंट कर चुकी है मुख्यमंत्री जी ने भी उनके कार्य की प्रशंसा और सराहना की है। आदिवासी संस्कृति संरक्षण के प्रति उत्कृष्ट कार्य कर रही है और समाज कि अनेक बेटियों को प्रेरित भी कर रही है।