विभाग और सरपंचों का समझौते के बाद निपटा विवाद
अलीराजपुर (जोबट)।
बीते दिनों जोबट जनपद पंचायत नगर में चर्चा का केंद्र रही है। 6 से 7 लाख का कार्य का स्टीमेट 15 लाख तक पहुंचाने का जादू यहां के पदस्थ अधिकारी सब इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर ही कर सकते हैं। वही एक और मामला सामने आया मनरेगा राशि के कमीशन कि मात्रा बड़ने के कारण जोबट मैं दर्जनों सरपंचों की कमीशन के खिलाफ लामबंद होते हुए स्थानीय मंडी में बैठक रखी। मामला जिसमें मनरेगा योजना ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाने तथा ग्राम को विकसित करने के लिए चलाया जा रही है। इस योजना अनुसार कार्य ईमानदारी से जमीन स्तर पर हो जाए तो पंचायतों का व ग्रामीणों का कायाकल्प हो जाता। पर यह योजना जोबट एवं उदयगढ़ क्षेत्र में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। इस योजना से गांव के काम करना तो दूर कमीशन का खेल चल रहा है, बेरोजगार लोगों को 100 दिन रोजगार देना चाहिए, पर कई मजदूरों के नाम कागजों पर ही चलाया जा रहा है।
हितग्राहियों के नाम पर निकाले गए एटीएम और मजदूरी का रुपए भ्रष्ट्र तंत्र के पास – जोबट जनपद की कुछ पंचायतें तो ऐसी भी है, जिनमे मजदूरों (जिनके खाते में राशि डाली जाती है) उनके दर्जनों एटीएम जीआरएस के पास है। मजदूरों को पता भी नहीं कब मजदूरी का पैसा डाला गया और कब निकाल लिया गया है। और खास बात तो यह भी है, की उनमें से कई मजदूर गुजरात में रहते है। और एक खास बात यह भी है की पंचायतों में जमीन पर काम कुछ भी नही चल रहा होता है फिर भी मस्टररोल भरे जा रहे है।
मनरेगा से होने वाले काम में अधिक कमीशन की मांग पर नाराज सरपंचों ने खोला मोर्चा – जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरपंच आक्रोश में दिखाई दिए। कृषि मंडी में बैठक हुई, बाद में जनपद पंचायत पहुंचे जनपद विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ जनपद में इस कमीशन को लेकर सरपंच के बीच में बैठक हुई। कमीशन के बंटवारे पर लगभग दो घंटे तक बहस चली और अंत में जन चर्चा अनुसार यह तय हुआ कि 12% जनपद के अधिकारी बांटेंगे। जिससे सरपंच भी संतुष्ट हुए, भ्रष्टाचार के खिलाफ बैठक में भ्रष्टाचार कि बात पर ही समझौते हुआ। इस बैठक के बाद मीडिया के सामने अपना पक्ष रखने से भी सरपंच कतराने लगे और अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस जिले में विकास के नाम पर आने वाला रुपया किस तरह से बंदरबाट होती है। इस क्षेत्र में कुछ सरपंच ऐसे हैं जो ग्रामों में विकास के नाम पर अपनी जेब भरते हैं और इसी बात का फायदा अधिकारी कर्मचारी उठाते हैं।