अलीराजपुर को इंदौर संभाग में ही रहने देने की मांग की गई: रतलाम संभाग में झाबुआ-अलीराजपुर आए तो सुविधाओं के साथ समस्याएं भी

नर्मदा किनारे से रतलाम मुख्यालय पहुंचने में लगेगा पूरा दिन: सीमांकन की चर्चा झाबुआ से रतलाम की दूरी 100 किमी लेकिन पहुंचने के साधन कम, इंदौर के लिए दिनभर में दर्जनों बसें

अलीराजपुर। विशाल चौहान। इंदौर संभाग भारत के मध्यप्रदेश राज्य की एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है। इंदौर, संभाग का प्रशासनिक मुख्यालय है। संभाग में इंदौर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, झाबुआ, खंडवा, खरगोन और अलीराजपुर जिले शामिल हैं। सरकार ने प्रदेश में नए संभाग और जिले बनाने के लिए परिसीमन आयोग बनाया है। इसके साथ ही रतलाम को नया संभाग बनाने और झाबुआ व अलीराजपुर को इंदौर से हटाकर रतलाम संभाग में शामिल करने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। तर्क ये दिया जा रहा है कि आदिवासी क्षेत्र से घिरा होने और इंदौर की बजाय रतलाम की दूरी कम होने से ये उचित होगा। ये तर्क फौरी तौर पर ठीक लगता है, लेकिन पूरा सच नहीं है। यही वजह है कि अलीराजपुर जिले के लोगों ने निर्णय के पहले ही इस विचार का विरोध करना शुरू कर दिया है। कुछ दिन पहले ज्ञापन देकर अलीराजपुर को इंदौर संभाग में ही रहने देने की मांग की गई।

दरअसल झाबुआ और अलीराजपुर के लोगों के लिए रतलाम तक पहुंच इतनी आसान नहीं है, जितनी इंदौर की है। लोगों का कहना है, सरकार को इस तरह का निर्णय लेने के पहले संभाग मुख्यालय तक आवाजाही के लिए ट्रांसपोर्ट और परिवहन की सुविधाएं बढ़ाना चाहिए। अभी ये काफी सीमित संख्या में हैं। जितना समय इंदौर जाने में लगता है, उससे अधिक रतलाम जाने में लग जाता है। यात्री सुविधाओं की संख्या भी कम है। रात में लौटने पर अपने शहर या गांव तक पहुंचने के साधन भी नहीं हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि पहले झाबुआ व अलीराजपुर जिलों की रतलाम से कनेक्टिविटी ऐसी करे कि कम समय में और किसी भी समय आने, जाने में दिक्कत नहीं हो। गरीब वर्ग के लोगों को अपने काम के लिए कम खर्च में सुविधा मिल सके।

रतलाम संभाग में शामिल हुवे तो ये समस्या होगी- झाबुआ से इंदौर की दूरी 150 किमी है। बैतूल-अहमदाबाद फोरलेन होने से आवाजाही का समय कम है। सुबह 5 बजे से लेकर रात 1 बजे तक 28 निजी बसें और पूरे दिन में 8 चार्टर्ड बसें हैं। 2028 तक इंदौर-दाहोद रेल परियोजना का काम भी पूरा होने के आसार है। दूसरी ओर रतलाम के लिए सुबह से रात तक 11 बसें हैं। मेघनगर से ट्रेन मिलती है। सुबह से शाम में चार ट्रेन हैं। देर रात लौटने पर मेघनगर से झाबुआ लौटने के साधन नहीं हैं।

अलीराजपुर जिले के लिए समस्या यहां से इंदौर की दूरी 200 किमी और रतलाम की 164 किमी है। लेकिन यहां से इंदौर तक दर्जनों बसें नॉन स्टॉप चलती हैं। 2026 तक छोटा उदयपुर, धार रेल परियोजना का काम पूरा होना है। फिर सीधे इंदौर तक ट्रेन चलने लगेगी। दूसरी ओर रतलाम जाने में बस से कम से कम 6 घंटे लगते हैं। ट्रेन के लिए पहले गुजरात के दाहोद जाना पड़ता है।

पांच जिलों का संभाग बनाने का प्रस्ताव- झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम और मंदसौर व नीमच को रतलाम संभाग में शामिल करने का प्रस्ताव है। अगस्त 2014 में सबसे पहले दिवंगत सांसद दिलीपसिंह भूरिया ने इसके लिए पत्र शिवराजसिंह चौहान को लिखा था। हालांकि रतलाम संभाग बनने के फायदे भी हैं। सरकार इंदौर, धार, देवास व उज्जैन को मेट्रो क्लस्टर बनाने की तैयारी में हैं। ऐसे में मेट्रो से बचे हुए जिलों की मॉनिटरिंग के लिए अलग मुख्यालय ज्यादा उचित माना जा रहा है।

अलीराजपुर जिले के बारे में- 1 नवंबर, 1956 को मध्यप्रदेश के गठन के बाद अलीराजपुर झाबुआ जिले में आया। हालांकि अलीराजपुर के लिए एक अलग जिले की मांग उठाई गई थी। लेकिन झाबुआ एक तरफ पेटलावद और थांदला तहसील के बीच और दूसरी तरफ जोबट और अलीराजपुर के बीच था। इसलिए झाबुआ को जिला मुख्यालय घोषित किया गया। तब से अलीराजपुर डिवीज़न मुख्यालय रहा। जिसमें तीन बड़े खंड विकास कार्यालय अलीराजपुर, सोंडवा और कट्टीवाडा थे। इनमें से सोंडवा और कट्टीवाडा टप्पा तहसील मुख्यालय थे।

बखतगढ़, मथवाड़, ककराना, सोंडवा, छकतला आदि गाँव नर्मदा नदी से जुड़े हुए है। जनप्रतिनिधि, सार्वजनिक और राजनीतिक दल समय-समय पर अलीराजपुर के लिए अलग जिले की मांग कर रहे थे। विधानसभा चुनाव 2003 के दौरान, उमा भारती ने अलीराजपुर को एक अलग जिला बनाने का वादा किया। तब से अलीराजपुर के लिए जिले की मांग जोरदार ढंग से उठाई गई। क्षेत्रीय जनता के दबाव के कारण, संगठनों और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 मई, 2008 को अलीराजपुर को अलग जिला बना दिया और इस तरह एक नई प्रशासनिक इकाई अलीराजपुर का गठन किया गया

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