चांदी के लिए भटकते रहे गरीब आदिवासी: कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद हुई एफआईआर, मामला एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज
5 साल पहले 3 किलो चांदी रखकर: 60 हजार रूपये खाद बीज के लिए निकाले, मजदूरी जा-जाकर अभी तक 1,60,000 रूपये जमा किये- उसके बाद भी चांदी वापस नही की
विजय मालवी/ विशाल चौहान ✍️
अलीराजपुर । जिले के आम्बुआ थाना अंतर्गत अगोनी गांव के निवासी आदिवासी दम्पति शायरी पति गुलजिया जाती भील द्वारा आम्बुआ के साहूकार प्रशांत वाणी को 5 साल पहले 3 किलो चांदी जिसमे 2 तागली, 2 हार, 2 हटके गिरवी रखकर 60 हजार रूपये खाद बीज के लिए निकालना बताया। जिसके बाद उन्होंने गुजरात मजदूरी जा-जाकर अभी तक 1,60,000 रूपये जमा कर देना बताया। किन्तु आज दिनांक तक चांदी वापस नही की और जब भी वो चांदी वापसी के लिए जाते है तो प्रशांत वाणी बहाने बनाकर अगली तारीख दे देकर 4 सालो से टाल रहा था। जिससे पीड़ित आदिवासी परिवार परेशान था।
ये बात लेकर पिछले महीने पीड़ित परिवार पुलिस थाने आम्बुआ भी पहुंचा लेकिन सबूत के अभाव मे कार्यवाही टाल दी गयी। तो पीड़ित आदिवासी गरीब मजदूर अनपढ़ परिवार पुलिस अधीक्षक के पास जिला मुख्यालय गुहार लेकर पहुंचा लेकिन पुलिस अधीक्षक की अनुपस्थिति मे आवेदन जावक मे देकर चले गए। काफी समय बीतने पर कार्यवाही नही हुई। वही प्रशांत वाणी भी अपनी पहुंच पकड़ की धौस देकर पीड़ित परिवार को धमकाता रहा।
शायरी और उसका पति हिम्मत हार चुके थे। एक दिन गांव के और टेमाची सरपंच नानसिंह कनेश से मिलकर अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने पीड़ित परिवार को लेकर अलीराजपुर पहुंचकर सामाजिक कार्यकर्त्ता नितेश अलावा से मिले। जहा से उन्होंने एक बार और प्रशांत वाणी को मौका देने और फोन लगाने की बात कही।
जिसके बाद दूसरे दिन प्रशांत वाणी ने मिलने बुलाया जहा वो कहने लगा की मेरा लोन चल रहा है और पैसा अभी नही है। तो में फरवरी तक उसका काम कर दूंगा अन्यथा जो करना है करो और ये कहकर एक सादे कागज़ पर लिखकर उसके बड़े भाई की उपस्थिति मे हस्ताक्षर सहित लिखकर दिया की वो फ़रवरी तक उसे 20,000 और चांदी वापस करेगा। जबकी वो 60,000 के बदले पहले ही 160,000 भर चुके थे। जिसका वीडियो भी बनाया गया।
उपरोक्त पूरे घटनाक्रम से असंतुष्ट होकर पीड़ित परिवार के साथ स्थानीय सरपंच राधू बघेल, राजू चौहान, टेमाची से नानसिंह कनेश आदिवासी समाज की आवाज कहे जाने वाले नितेश अलावा सहित सीधे जिला कलेक्टर डॉ.अभय अरविन्द बेडेकर से मिलकर लिखित आवेदन शिकायत लेकर पहुंचे। जिसे पड़ने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर साहब ने पुलिस अधीक्षक अलीराजपुर से फोन पर चर्चा की। जिसके बाद त्वरित कार्यवाही करते हुए एसपी अलीराजपुर ने तत्काल जांच ऑडियो वीडियो और कागज़ के आधार पर एफआईआर करने चांदी वापस दिलवाने के निर्देश थाना प्रभारी को दिए। तत्पश्चात थाना आम्बुआ मे एफआईआर एट्रोसिटी एक्ट के तहत की गयी।
पुरे मामले मे जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की सकारात्मक त्वरित कार्यवाही से ग्रामीणों मे जिला प्रशासन के प्रति सकारात्मक भावनाओ को बनाने का काम किया है और एक उम्मीद जगी है।
ज्ञात रहें की अलीराजपुर कलेक्टर द्वारा गत महीनों से आदिवासियों की पीड़ाओ को समझकर कही ऐसे आदेश प्रसारित किये। जिसमे आदिवासियों का शोषण रुके वही ग्राम गिराला मे एक हेक्टेयर से अधिक भूमि का गैर सवेंधानिक रूपसे हुए रजिस्ट्री नामांतरण को एक दल बनाकर जांच मे लेकर ख़ारिज कर आदिवासियों की भूमि वापस दिलवाने का आदेश भी प्रमुख है।
जिसकी प्रशंसा सामाजिक कार्यकर्त्ता नितेश अलावा ने करते हुए कहा की जिले मे ऐसे सैकड़ो प्रकरण मिलेंगे। जिसमे गरीब अनपढ़ आदिवासियों को ब्याज के नाम पर छला जाता है। किन्तु गरीब मजदूर अनपढ़ होने की वजह से उसके पास सबूत या बील रसीद का अभाव होने से कार्यवाही नही हो पाती और चांदी साहूकार द्वारा राजसात कर ब्याज खोरी की जाती रही है।
उन्होंने अपील की है – ऐसे साहूकारो से की वो मूलधन लेकर आपसी समन्वय से उचित कार्यवाही कर चांदी वापस लौटा देवे ताकी हमें इस तरह से कार्यवाही न करवानी पड़े जिससे आपसी सबंध खराब हो। वही पुरे मामले मे त्वरित कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन का आभार माना है।