अलीराजपुर। विजय मालवी। ग्राम बड़ी खट्टाली में महिलाओं ने हरतालिका तीज का पर्व काफी उत्साह एवं धूमधाम के साथ मनाया। यह तीज त्यौहार सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के बीच धार्मिक उल्लास लेकर आता है। सातुड़ी तीज को देश के कई हिस्सों में सौंधा के नाम से भी मनाया जाता है। दरअसल इस मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर तीन बार मिलता है। पहले हरियाली तीज मनाई जाती है। फिर सातुड़ी तीज मनाई जा रही है। सबसे आखिर में हरितालिका तीज मनाइ जाएगी। सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। इस पर्व पर सत्तु के बने विशेष व्यंजनों का आदान-प्रदान होता है। सातूड़ी तीज पर नीम की पूजा की जाती है। कन्याएं व सुहागिनो ने व्रत रखकर संध्या को नीमड़ी की पूजा करती है।
कन्याएं सुन्दर, सुशील वर तथा सुहागिनें पति की दीर्घायु की कामना कर प्रर्थना की व तीज माता की कथा सुन कर सभी मन्दिरों में देवों के दर्शन किये। दिन भर के उपवास को तोड़ने के लिए रात्रि में चंद्रमा के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हुए उपवास को खत्म किया। इस उत्सव को माहेश्वरी समाज, ब्राह्मण समाज व अन्य समाज की महिलाओं व युवतियों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया गया।