अलीराजपुर। विशाल चौहान। दिवाली के त्यौहार को लेकर प्रजापति कुम्हारो की तरफ से मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने का काम तेजी से शुरू हो चुका है। दिया और बर्तन बनाने की तैयारी एक महीने पहले से ही शुरू हो चुकी थी। दीपों के त्योहार दिवाली को लेकर लाखों की संख्या में दिए तैयार किए जाते हैं। दीपावली, धनतेरस और गोवर्धन पूजा में इनकी खूब मांग होती है। इसे देखते हुए बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। मिट्टी के दिए औऱ बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को उम्मीद है कि इस बार उनके उत्पादों की अच्छी मांग होगी, इसे देखते हुए वो पूरे परिवार के साथ कार्य करने में जुटा हुआ है। वहीं जैसे-जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है दुकानों में मिट्टी के बर्तन और रंग-बिरंगे दिए सजने शुरू हो गए हैं।
अभी भी मिट्टी के बने दीप उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने की पूर्व में थे। इसके चलते उनके चाक ने रफ्तार पकड़ ली है। चीन की झालरों ने कुम्हारों का धंधा चौपट कर दिया था। जिससे उन्होंने दीया बनाना भी कम कर दिया था।
खट्टाली निवासी नारायण प्रजापति कहते हैं कि इस बार गांव के लोग मिट्टी के दीए से ही घरों को रोशन करेंगे। इससे लगता है कि दीपावली पर मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ेगी। इसलिए महीने भर पहले ही मिट्टी के दियों का बनाना शुरू कर दिया था।
ग्रामीणों से पैसे के बदले लेते है अनाज – कुम्हार समाज के वरिष्ठ नारायण प्रजापति द्वारा बताया गया है कि जब वह दियो को देते है तो वह ग्रामीणों से पैसे नही लेते बल्कि वह उनसे अनाज लेते हैं। यह परंपरा हमारी कई पिछली पीढ़ियों से चलती आ रही है। उक्त बातें नारायण प्रजापति द्वारा दी गई।
कुम्हारों का पूरा परिवार सुबह से शाम तक दिए और बर्तन बनाने के काम में जुटा हुआ है। चाक पर अपने उंगलियों से दिए को आकार देते हुए तरुण प्रजापति बताते है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बाद दीये और बर्तन की अच्छी बिक्री होगी। दिवाली की पूरी तैयारी हो चुकी है। हजारो की संख्या में मिट्टी के दीयों के आर्डर आ रहे हैं और वह खट्टाली से बाहर भी दियों की सप्लाई कर रहे हैं।
मिट्टी के दियो से बरकरार रहेगी दिवाली की रंगत – वहीं बाजारों में खरीदारी कर रहे परिवार भी मिट्टी के बर्तनों को प्राथमिकता देते नजर आए। उनका कहना है कि पॉल्यूशन रहित दिवाली के तहत हमें पारंपरिक तरीके से तैयार मिट्टी के दिए का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे दिवाली की सुंदरता और रंगत भी बरकरार रहेगी।