भारतीय कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई शब्द या अवधारणा परिभाषित नहीं है! कॉल आने पर डरने की जरुरत नहीं है।
इंदौर। विशाल चौहान। 4 दिसम्बर बुधवार को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस श्री अटल बिहारी वाजपेयी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इंदौर की प्राचार्य डॉ ममता चंद्रशेखर की अध्यक्षता में साइबर सिक्योरिटी विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। ततपश्चात मुख्य वक्ता प्रो. गौरव रावल व कॉलेज प्राचार्य डॉ ममता चन्द्रशेखर का स्वागत कॉलेज स्टाफ ने शाल श्रीफल व पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्तर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट प्रोफेसर गौरव रावल ने कॉलेज स्टाफ सहित छात्र छात्राओं को विस्तार से साइबर सिक्योरिटी के बारे में बताया। प्रो. गौरव रावल ने बताया कि साइबर अपराध एक अलग प्रकार का अपराध है, जो सिर्फ एक साधारण मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करके किया जा सकता है। व्हाट्सएप और फेसबुक आपके प्रत्येक टेक्स्ट को तब भी स्टोर करते हैं, जब आप इसे केवल सर्च बॉक्स में टाइप करते हैं। इसलिए हमें किसी भी सामग्री को लिखने या खोजने से पहले हमेशा विचारशील होना चाहिए और इस डिजिटल दुनिया में कुछ भी पोस्ट करने से पहले दो बार सोचना चाहिए, क्योंकि इंटरनेट खोज इतिहास को पूरी तरह से हटाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है।
साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से जूझने में भारतीय कानून और सुरक्षा एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों को बहुत गहराई से समझाया। उन्होंने साइबर क्राइम में नवीनतम साइबर खतरों, जैसे डिजिटल अरेस्ट, साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग साथ ही ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर भी चर्चा की। उन्होने साइबर हेल्पलाइन व पोर्टल के बारे मे बताया कि किसी भी प्रकार की साइबर ठगी होने पर क्राइम ब्रांच के टोल फ्री नंबर 1930 को डायल करें और स्थानीय पुलिस स्टेशन पर जाकर सूचना दें साथ ही पोर्टल पर भी ऑनलाइन रिपोर्ट करें।
भारतीय कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई शब्द या अवधारणा परिभाषित नहीं है। सतर्क और जागरूक रहें। इंदौर में पिछले कुछ दिनों में डिजिटल अरेस्ट के 65 से ज्यादा मामले आ चुके हैं। किसी भी जांच एजेंसी द्वारा आपको कोई कॉल आता है और वह डराता या धमकाता है तो मानिए कि आपके साथ पूरी तरह से धोखाधड़ी हो रही है और इसके लिए आपको जागरूक होने की जरूरत है। कोई भी पुलिस या जांच ऐजेंसी वीडियो कॉल या व्हाट्सएप कॉल से जांच नहीं करती और ना ही किसी प्रकार की कार्रवाई करती है। इसलिए ऐसी कोई भी कॉल आने पर डरने की जरुरत नहीं है।
इस मौके पर उपस्थित स्टाफ व छात्र छात्राओं ने आईटी अधिनियम 2008 की धारा 67 और आईपीसी के तहत 354-डी, 507 और 509 जैसी विभिन्न धाराओं के बारे में जाना और सीखा की साइबर चोरों से लोग खुद को कैसे सुरक्षित कर सकते हैं।
प्राचार्य डॉ. ममता चंद्रशेखर ने सभी छात्र छात्राओं को प्रो. गौरव रावल द्वारा बताए गए साइबर संबंधी जागरूकता व कानून का पालन करने और अपने परिवारजनों को भी इस विषय में जागरूक करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो.हरीश मिमरोठ ने किया। आभार व्यक्त करते हुवे प्रोफेसर दिनेश कुमार गुप्ता ने मुख्य वक्ता प्रो. गौरव रावल का इस साइबर क्राइम के जानकारी पूर्ण व सफल कार्यक्रम के लिए धन्यवाद किया।